Dua E Masura In Hindi
“बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम”
” अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी जुलमन कसीरा वला यग़फिरुज़-जुनूबा इल्ला अनता फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन इनदिका वर हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ुरूर्र रहीम “
Dua E Masura In Arbic
” اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ “
Dua E Masura In English
“Allahumma inni zalamtu nafsi zulman kathira wala yaghfiruz-zunuba illa anta faghfirli maghfiratan min ‘indika warhamni innaka antal ghafoorur-raheem.”
अपने इल्म में इज़ाफ़े के लिए आप ये पढ़ सकते हैं
जन्नत का बयान
जन्नत एक मकान है जिसे अल्लाह तआला ने ईमान वालों के लिये बनाया है उसमें ऐसी ऐसी नेमतें रखी गई हैं जिनको न आँखों ने देखा न कानों ने सुना और न कोई उन नेमतों का गुमान कर सकता है यानी बे देखे वर्ना देख कर तो आप ही जानेंगे, तो जिन्होंने दुनियावी हयात की हालत में मुशाहदा किया वह इस हुक्म से अलग हैं खास हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इसलिए जन्नत की कोई मिसाल दी ही नहीं जा सकती क्योंकि काबा शरीफ जन्नत से आला है और हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की तुर्बत तो काबा बल्कि अर्श से भी अफज़ल है मगर यह दुनिया की चीजें नहीं। हाँ जिन्होंने अल्लाह के करम से अपनी दुनियावी ज़िन्दगी में जन्नत को देखा है वह जानते हैं कि जन्नत में क्या क्या चीजें हैं और उसमें कितना आराम है।
जन्नत की कोई औरत अगर ज़मीन की तरफ देख ले तो ज़मीन से आसमान तक रौशन हो जाये, चाँद सूरज की रौशनी मंद पड़ जाये और पूरी दुनिया उसकी खुश्बू से भर जाये। एक रिवायत में यह भी है कि अगर हूर अपनी हथेली जमीन और आसमान के बीच निकाले तो सिर्फ हथेली की खुबसूरती को देख कर लोग फितने में पड़ जायेंगे। अगर जन्नत की कोई ज़री बराबर भी चीज़ दुनिया में आ जाये तो आसमान ज़मीन सब में सजावट पैदा हो जाये। जन्नती का कंगन चाँद सूरज और तारों को मांद कर दे। जन्नत की थोड़ी सी जगह जिस में कोड़ा रख सकें वह पूरी दुनिया से बेहतर है। जन्नत की लम्बाई चौड़ाई के बारे में किसी को कुछ पता नहीं। अल्लाह और उसके रसूल ज़्यादा अच्छा जानते हैं।
मुख़्तसर यह है कि जन्नत में सौ दर्जे हैं। एक दर्जे से दूसरे दर्जे में इतनी दूरी है कि जैसे ज़मीन से आसमान तक। तिर्मिज़ी शरीफ की एक हदीस का मतलब यह है कि जन्नत के एक दर्जे में अगर सारा आलम समा जाये तो फिर भी जगह बाकी रहेगी जन्नत में एक इतना बड़ा पेड़ है कि अगर उसके साये में कोई सौ बरस तक तेज़ घोड़े से चलता रहे फि भी वह साया खत्म न होगा। जन्नत के दरवाज़ों की चौड़ाई इतनी होगी कि उसके एक सिरे से दूसरे सिरे तक तेज़ घोड़े से सत्तर साल का रास्ता होगा। फिर भी जन्नत में जाने वाले इतने ज्यादा होंगे कि मोंढे से मोंढा छिलता होगा बल्कि भीड़ से दरवाज़ा चरचराने लगेगा। जन्नत में तरह तरह के साफ सुथरे ऐसे महल होंगे कि अन्दर की चीजें बाहर से और बाहर की चीजें अन्दर से दिखाई देंगी।
जन्नत की दीवारें सोने चाँदी की ईटों और मुश्क के गारे से बनी हैं। ज़मीन जाफरान की होगी। कंकरियों की जगह मोती और याकूत होंगे। एक रिवायत में यह भी है कि जन्नते अदन की एक ईंट सफेद मोती की, एक लाल याकूत की और एक हरे ज़बरजद की और मुश्क का गार। है। घास की जगह जाफरान और अम्बर की मिट्टी है। जन्नत में एक मोती का खेमा होगा जिसकी ऊँचाई साठ मील की होगी।
जन्नत में पानी, दूध शहद और शराब की चार दरियायें है। उनसे नहरें निकल कर हर एक जन्नती के मकान में बह रही हैं। जन्नत की नहरें ज़मीन खोद कर नहीं बहती बल्कि ज़मीन के ऊपर जारी हैं। नहरों का एक किनारा मोती का दूसरा याकूत का उन नहरों की ज़मीन खालिस मुश्क की है।
जन्नत की शराब दुनिया की शराब की तरह नहीं जिस में कड़वाहट, बदबू और नशा होता है और उसे पीकर लोग बेहोश हो जाते हैं और आपे से बाहर होकर गाली गलौच बकते हैं। जन्नत की शराब इन बातों से पाक है। जन्नत में जन्नतियों को हर किस्म के मज़ेदार खाने मिलेंगे और जो चाहेंगे फौरन उनके सामने मौजूद हो जायेगा। अगर जन्नती किसी चिड़िया का गोश्त खाना चाहे तो उसी वक्त भुना हुआ गोश्त उसके सामने आ जायेगा। अगर कोई पानी पीना चाहे तो पानी का कूज़ा (प्याला) उसकी प्यास के मुताबिक उस के पास आ जायेगा। ज़रूरत से न एक बूंद कम होगा न एक बूंद ज़्यादा। पीने के बाद वह आबखोरा (पानी पीने का बर्तन) खुद उस के पास से चला जायेगा। जन्नत में नजासत, गन्दगी, पाखाना, पेशाब, थूक, रेंठ, कान का मैल और बदन का मैल वगैरा कोई गन्दगी नहीं होगी। जन्नती लोगों को पेशाब पाखाना नहीं होगा। सिर्फ एक खुश्बूदार पसीना निकलेगा। जन्नतियों का खाया हुआ सब खाना हज़म हो जायेगा और निकले हुये पसीने और डकार की खुश्बू मुश्क की होगी।
हर आदमी की खुराक सौ आदमियों की होगी और हर एक को सौ बीवियों के रखने की ताक्त दी जायेगी। हर वक़्त जुबान से तस्बीह व तकबीर वगैरा बिना इरादे के बिना मेहनत के जैसे साँस चलती है उसी तरह आदमी की जुबान से अल्लाह की तस्बीह और तकबीर जारी रहेगी। हर जन्नती के सिरहाने दस हज़ार खादिम खड़े होंगे। इन खादिमों के एक हाथ में चाँदी का प्याला और दूसरे हाथ में सोने का प्याला होगा और हर प्याले में नई नई नेमतें होंगी। जन्नती जितना खाता जायेगा। उन चीज़ों की लज़्ज़त बढ़ती जायेगी। हर लुकमे और निवाले में सत्तर मज़े होंगे। हर एक मज़ा अलग अलग होगा और जन्नती सब को एक साथ महसूस करेंगे। न तो जन्नतियों के कपड़े मैले होंगे और न उनकी जवानी ढलेगी।
जन्नत में जो पहला गिरोह जायेगा उनके चेहरे चौदहवीं रात के चाँद की तरह चमकते होंगे। दूसरा गिरोह वह जैसे कोई निहायत रौशन सितारा। जन्नतियों के दिल में कोई भेद भाव न होगा। आपस में सब एक दिल होंगे। जन्नतियों में से हर एक को खास हूरों में से कम से कम दो बीवियाँ ऐसी मिलेंगी कि सत्तर सत्तर जोड़े पहने होंगी फिर भी उन जोड़ों और गोश्त के बाहर से उनकी पिंडलियों का गूदा दिखाई देगा जैसे सफेद गिलास में सुर्ख शराब दिखाई देती है। यह इसलिए कि अल्लाह ने उन हूरों को याकूत की तरह कहा है और याकूत में अगर छेद कर के धागा डाला जाये तो ज़रूर बाहर से दिखाई देगा। आदमी अपने चेहरे को उनके रूख़्सार में आईने से भी ज़्यादा साफ़ देखेगा उसके रूख़्सार पर एक मामूली मोती होगा लेकिन उस मोती में इतनी चमक होगी कि उससे पूरब से पश्चिम तक रौशन हो जायेगा जन्नत का कपड़ा दुनिया में पहना जाये तो उसे देखने वाला बेहोश हो जाये। मर्द जब जन्नत की औरतों के पास जाएगा तो उन्हें हर बार कुँवारी पाएगा मगर इसकी वजह से मर्द व औरत किसी को कोई तकलीफ न होगी। हूरों की थूक में इतनी मिठास होगी कि अगर कोई हूर समुन्दर में या सात समुन्दरों में थूक दे तो सारे समुन्दर शहद से ज़्यादा मीठे हो जायेंगे।
जब कोई आदमी जन्नत में जायेगा तो उस के सरहाने पैताने दो हूरें बहुत अच्छी आवाज़ से गाना गायेंगी मगर उनका गाना ढोल बाजों के साथ नहीं होगा बल्कि वह अपने गानों में अल्लाह की तारीफ करेंगी। उन की आवाज़ में इतनी मिठास होगी कि किसी ने वैसी आवाज़ न सुनी होगी। और वह यह भी गायेंगी कि हम हमेशा रहने वालियाँ हैं कभी न मरेंगे हम चैन वालियाँ हैं कभी तकलीफ में न पड़ेंगे और हम राज़ी हैं नाराज़ न होंगे और यह भी कहेंगी कि उस के लिए मुबारक बाद जो हमारा और हम उस के हों। जन्नतियों के सर पलकों और भवों के अलावा कहीं बाल न होंगे। सब बे बाल के होंगे उनकी आँखें सुर्मगी होंगी। तीस बरस से ज़्यादा कोई मालूम न होगा। मामूली जन्नती के लिए अस्सी हज़ार खादिम और बहत्तर हज़ार बीवियाँ होंगी। और उनको ऐसे ताज दिये जायेंगे कि उसमें के कम दर्जे के मोती से भी पूरब से पश्चिम तक चमक हो जायेगी अगर कोई यह चाहे कि उसके औलाद हो तो औलाद होगी लेकिन आन की आन में बच्चा तीस साल का हो जायेगा। जन्नत’ में न तो नींद आयेगी और न कोई मरेगा क्यूँकि जन्नत में मौत नहीं।
हर जन्नती जब जन्नत में जायेगा तो उसको उसके नेक कामों के मुताबिक मर्तबा मिलेगा और अल्लाह के करम की कोई थाह नहीं। फिर जन्नतियों को एक हफ्ते के बाद इजाज़त दी जायेगी कि वह अपने परवरदिगार की ज़ियारत करें। फिर अल्लाह का अर्श ज़ाहिर होगा और अल्लाह तआला, जन्नत के बागों में से एक बाग में तजल्ली फरमायेगा। जन्नतियों के लिये नूर के, मोती के याकूत के, ज़बरजद के, सोने के और चाँदी के मिम्बर होंगे। और कम से कम दर्जे के जन्नति मुश्क और काफूर के टीले पर बैठेंगे। और उनमें आपस में अदना और आला कोई नहीं होगा। खुदा का दीदार ऐसा साफ होगा जैसे सूरज और चौदहवीं रात के चाँद को हर एक अपनी जगह से देखता है।
अल्लाह की तजल्ली हर एक जन्नती पर होगी। अल्लाह तआला उन जन्नतियों में से किसी को उसके गुनाह याद दिलाकर फ़रमायेगा। कि ऐ फ्लॉ का लड़के फलाँ तुझे याद है कि जिस दिन तूने ऐसा ऐसा किया था? बन्दा जवाब देगा कि ऐ मेरे अल्लाह क्या तूने मुझे बख़्श नहीं दिया था ? अल्लाह फ़रमायेगा कि हाँ मेरी मग़फिरत की वुसअत की वजह ही से तू इस मर्तबे को पहुँचा है।
वह सब इसी हालत में होंगे कि बादल छा जायेंगे और उन पर ऐसी खुश्बू की बारिश होगी कि उन लोगों ने ऐसी खुश्बु कभी न पाई होगी। फिर अल्लाह फ़रमायेगा कि उस तरफ जाओ जो मैंने तुम्हारे लिए इज़्ज़त तैयार कर रखी है। उसमें से जो चाहो ले लो।
लोग फिर एक ऐसे बाज़ार में पहुँचेंगे जिसे फरिश्तों ने घेर रखा होगा और उनमें ऐसी चीजें होंगी कि न तो आँखों ने देखा होगा न कानों ने सुना होगा और न उन चीज़ों का कभी किसी ने ध्यान किया होगा। जन्नती उस में से जो चीज़ पसन्द करेंगे उनके साथ कर दी जायेगी। जन्नती जब आपस में एक दूसरे से मिलेंगे और छोटे रूतबे वाला बड़े रूतबे वाले के लिबास को देख कर पसन्द करेगा तो अभी बातें ख़त्म भी न होंगी, कि छोटे मरतबे वाला अपने कपड़े को बड़े मरतबे वाले से अच्छा समझने लगेगा यह इसलिए कि जन्नत में किसी के लिए गम नहीं। फिर वहाँ से अपने अपने मकानों को वापस आयेंगे। उनकी बीवियाँ उनका इस्तिकबाल करेंगी और मुबारक बाद देकर कहेंगी कि आपका जमाल यानी खुबसूरती पहले से भी कहीं ज़्यादा बढ़ गई है। वह जवाब देंगे चूँकि हमें अल्लाह के दरबार में हाज़िरी नसीब हुई इसलिए हमें ऐसा ही होना चाहिए।
जन्नती बाज़ आपस में एक दूसरे से मिलना चाहेंगे तो इसके दो तरीके होंगे। एक यह कि एक का तख़्त दूसरे के पास चला जायेगा। दूसरी सूरत यह होगी कि जन्नतियों को बहुत अच्छे किस्म की सवारियाँ जैसे घोड़े वगैरा दिये जायेंगे कि उन पर सवार होकर जब चाहें और जहाँ चाहें चले जायेंगे। सबसे कम दर्जे का वह जन्नती है कि उसके बाग़ बीवियाँ, खादिम और तख़्त इतने ज़्यादा होंगे कि हज़ार बरस के सफर की दूरी तक यह तमाम चीजें फैली हुई होंगी। उन जन्नतियों में अल्लाह के नज़दीक सबसे, इज़्ज़त वाला वह है जो उसका दीदार हर सुबह और शाम करेगा। जन्नती जब जन्नत में पहुँच जायेंगे और जन्नत की नेमतें उनके सामने होंगी और जन्नत में चैन आराम को जान जायेंगे तो अल्लाह तबारक व तआला उनसे पूछेगा कि क्या कुछ और चाहते हो? तो वह कहेंगे कि या अल्लाह तूने हमारे चेहरे रौशन किये जन्नत में दाखिल किया और जहन्नम से नजात दी उस वक़्त मख़लूक पर पड़ा हुआ पर्दा उठ जायेगा और उन्हें अल्लाह का दीदार नसीब होगा। दीदारे इलाही से बढ़ कर कोई चीज़ नहीं।
اللَّهُمَّ ارْزُقْنَا زِيَارَةً وَجُهِكَ الكَرِيمِ بِحَاهِ حَبِيبِكَ الرُّوفِ الرَّحِيمِ عَلَيْهِ الصَّلَاةُ وَالتَّسْلِيمِ آمِينَ. तर्जमा :- “या अल्लाह ! हमको अपने महबूब सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जो रऊफ ओ रहीम हैं उनके वसीले से अपना दीदार नसीब फरमा। आमीन !”