Ramadan Card Dua In Hindi🌙 रमज़ान 2025: बरकतों और मग़फिरत का पाक महीना✨
रमज़ान उल मुबारक अल्लाह तआला की तरफ से दिया गया एक खास तोहफा है। यह महीना सिर्फ भूख और प्यास सहने का नाम नहीं, बल्कि सब्र शुक्रऔर अल्लाह से तअल्लुक (अल्लाह का कुर्ब हासिल करने ) का महीना है।
यह वही पाक महीना है जिसमें कुरआन-ए-पाक का नुज़ूल (उतारना) हुआ और इंसानियत को सही रास्ता दिखाने के लिए अल्लाह का हुक्म नाज़िल हुआ।
रोजा सिर्फ पेट का नहीं, बल्कि आंखों, जुबान और दिल का भी होता है।
हर रोजा इंसान के गुनाहों को माफ करने का ज़रिया बनता है।
रमज़ान का हर लम्हा रहमत, मग़फिरत और जहन्नम से आज़ादी की दुआओं का वक्त होता है।

Ramadan Ki Dua Jo Har Dil Ko Chhoo Le

Ramadan Ki Dua Jo apke duniya or akhirat saware






हदीस न.1:- सही बुखारी व सही मुस्लिम में अबू हुंरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जब रमज़ान आता है आसमान के दरवाजे खोल दिये जाते हैं एक रिवायत में है ‘जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं एक रिवायत में है कि रहमत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं और शैतान ज़न्जीरों में जकड़ दिये जाते हैं और इमाम अहमद और तिर्मिज़ी व इन्ने माजा की रिवायत में है कि जब माहे रमजान की पहली रात होती है तो शैतान और सरकश जिन्न कैद कर लिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं तो इनमें से कोई दरवाज़ा खोला नहीं जाता और जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं तो इनमें से कोई दरवाज़ा बन्द नहीं किया जाता और मुनादी पुकारता है,ऐ खैर तलब करने वाले ! मुतवज्जे हो, और ऐ शर के चाहने वाले ! बाज़ रह और कुछ लोग जहन्नम से आज़ाद होते हैं और यह हर रात में होता है इमाम अहमद व नसई की रिवायत उन्हीं से है कि हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया रमज़ान आया यह बरकत का महीना है अल्लाह तआला ने इसके रोज़े तुम पर फर्ज़ किये इस में आसमान के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और दोज़ख के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं और सरकश शैतानों के तौक डाल दिये जाते हैं और इसमें एक रात ऐसी है जो हज़ार महीनों से बहतर है जो उसकी भलाई से महरूम रहा बेशक महरूम है।
हदीस न.2 :- इब्ने माजा हज़रते अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कहते हैं रमज़ान आया तो हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया यह महीना आया इसमें एक रात हज़ार महीनों से बेहतर है जो इससे महरूम रहा हर चीज़ से महरूम रहा और उसकी खैर से वही महरूम होगा जो पूरा महरूम है।
हदीस न.3 :- बैहकी शोअबुल ईमान में इब्ने अब्बास रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी कहते हैं जब रमज़ान का महीना आता रसूलुल्लाह सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम कैदियों को रिहा फ़रमा देते और साइल को अता फरमाते।
हदीस न.4 :- बैहकी शोअबुल ईमान में इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी कि नबी सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया जन्नत इब्तिदाए साल यअनी शुरू साल से साले आइन्दा (आने वाले साल) तक रमज़ान के लिए आरास्ता की जाती है (सजाई जाती है) जब रमज़ान का पहला दिन आता है तो जन्नत के पत्तों से अर्श के नीचे एक हवा हूरों पर चलती है वह कहती हैं, ऐ रब ! तू अपने बन्दों से हमारे लिए उनको शौहर बना जिन से हमारी आँखें ठण्डी हों और उनकी आँखें हम से ठण्डी हों।
हदीस न.5:- इमाम अहमद अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं रमज़ान की आख़िर शब में उम्मत की मग़फित होती है। अर्ज की गयी क्या वह शबे कद्र है। फ़रमाया नहीं लेकिन काम करने वाले को उस वक़्त मज़दूरी पूरी दी जाती है जब वह काम पूरा कर ले।